जन्म कुंडली के प्रथम भाव से शारीरिक स्वास्थ्य , स्वभाव , जीवन की उन्नति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है । जन्म कुंडली में प्रथम भाव में 8 अंक लिखा है । अर्थात आपकी वृश्चिक लग्न की कुंडली है । वृश्चिक लग्न के स्वामी मंगल होते हैं अतः मंगल आपके लग्नेश है ।
आपकी जन्मकुंडली में लग्न पर इन ग्रहों का प्रभाव है । अतः ग्रहों के बल के अनुसार इनसे सम्बंधित मिले जुले स्वभाव एवं प्रभाव रहेंगे ।
गुरु - ऐसे व्यक्ति विद्वान , बुद्धिमान , विवेककी एवं ज्ञानी होते हैं । समाज में मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है । ऐसे व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में किसी भी बात को समझने की क्षमता रखते हैं । ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक विषय का ज्ञान रहता है । किसी भी कार्य को आम व्यक्ति की अपेक्षा बहुत जल्द सीख लेते हैं । चेहरे पर तेज होता है । भव्यता होती है । धर्म में विशेष रूचि होती है । ऐसे व्यक्ति मैं किसी को भी समझाने की क्षमता अच्छी होती है । ऐसे व्यक्ति लंबे होते हैं एवं शरीर मोटा होता है ।
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♦️सूर्य आपकी कुंडली में पिता , राज्य एवं रोजगार के स्वामी होते हैं । सूर्य आपकी कुंडली के लिए कारक होते हैं ।
👉पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान तथा सफलता प्राप्त होती है । आप अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं । चतुर्थ भाव में दृष्टि के कारण माता भूमि भवन के सुख में कुछ परेशानी होती है । ऐसे व्यक्ति को मान सम्मान बहुत प्राप्त होता है ।
( सूर्य पर राहु की दृष्टि है जिसके कारण उपरोक्त लाभ में कठिनाई तथा परेशानी होती है ।)
♦️चंद्रमा आपकी कुंडली में भाग्य एवं उच्च शिक्षा के स्वामी होते हैं । चंद्रमा आपकी कुंडली के लिए कारक होते हैं ।
👉भाग्य की विशेष उन्नति होती है । आप धर्म का पालन करते हैं । उच्च शिक्षा प्राप्त होती है । तृतीय भाव में दृष्टि के कारण भाई-बहन का सुख प्राप्त होता है । पराक्रम में वृद्धि होती है । ऐसे व्यक्ति सुखी और समृद्ध होते हैं ।
( यहां चंद्रमा मंगल एवं गुरु के साथ विराजमान हैं यह जीवन में उन्नति के लिए बहुत श्रेष्ठ योग हैं । )
♦️मंगल आपकी कुंडली में स्वास्थ्य , जीवन में उन्नति , रोग एवं शत्रु के स्वामी होते हैं । मंगल आपकी कुंडलीके लिए कारक होते हैं ।
👉मंगल नीच राशि में विराजमान है परंतु यहां मंगल का नीच भंग भी हो रहा है । कुछ कठिनाइयों के साथ भाग्य की उन्नति होती है । आप धर्म का पालन करते हैं । शारीरिक स्वास्थ्य सौंदर्य सम्मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है । शत्रु पक्ष पर सफलता प्राप्त होती है । द्वादश भाव में दृष्टि के कारण खर्च अधिक रहता है । बाहरी स्थानों के संबंध से लाभ प्राप्त होता है। । तृतीय भाव में दृष्टि के कारण पराक्रम में वृद्धि होती है । भाई बहन का सुख प्राप्त होता है । चतुर्थ भाव में दृष्टि के कारण माता भूमि भवन के सुख में परेशानी होती है ।
♦️बुध आपकी कुंडली में आमदनी , लाभ , बड़े भाई – बहन एवं आयु के स्वामी होते हैं । बुध आपकी कुंडली के लिए अकारक होते हैं , परन्तु बलवान होने पर भी अच्छा फल देते हैं तथा आमदनी अच्छी होती है ।
👉कुछ कठिनाइयों के साथ पिता , राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है । स्वयं से द्वादश भाव में विराजमान होने के कारण आमदनी प्राप्त करने में कठिनाई होती है । आयु का लाभ होता है । चतुर्थ भाव में दृष्टि के कारण माता भूमि भवन का सुख प्राप्त होता है ।
♦️गुरु आपकी कुंडली में धन , कुटुंब , विद्या , बुद्धि एवं संतान के स्वामी होते हैं । गुरु आपकी कुंडली के लिए कारक होते हैं ।
👉भाग्य की विशेष उन्नति होती है । ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं । आप धर्म का पालन करते हैं । उच्च शिक्षा अच्छी प्राप्त होती है । धन एवं कुटुंब का सुख प्राप्त होता है । लग्न पर दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य सौंदर्य प्रभाव एवं सम्मान में वृद्धि होती है । तृतीय भाव में दृष्टि के कारण कुछ कठिनाइयों के साथ भाई-बहन का सुख प्राप्त होता है । पराक्रम में वृद्धि होती है । पंचम भाव में दृष्टि के कारण विद्या बुद्धि एवं संतान का सुख प्राप्त होता है । ऐसे व्यक्ति श्रेष्ठ विद्या प्राप्त करते हैं तथा सुखी एवं ईमानदार होते हैं ।
( गुरु अंश बल के अनुसार बहुत कमजोर है अतः पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है । )
♦️शुक्र आपकी कुंडली में पति / पत्नी , व्यवसाय , बाहरी स्थान एवं खर्च के स्वामी होते हैं । शुक्र आपकी कुंडली के लिए अकारक ग्रह होते हैं । परन्तु कमजोर या पीड़ित होने पर पत्नी के सुख में कमी होती है ।
👉पिता , राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में कुछ कठिनाइयों के साथ सफलता प्राप्त होती है । बाहरी स्थानों के संपर्क से भी रोजगार के क्षेत्र में उन्नति होती है । पत्नी और वैवाहिक जीवन के क्षेत्र में भी कुछ कठिनाई होती है । पत्नी भी किसी प्रकार की रोजगार करती है । चतुर्थ भाव में दृष्टि के कारण माता , भूमि , भवन , वाहन का सुख प्राप्त होता है ।
♦️शनि आपकी कुंडली में पराक्रम , छोटे भाई- बहन , माता , जमीन , जायदाद एवं घरेलू सुख के स्वामी होते हैं । शनि आपकी कुंडली में अकारक होते हैं ।
👉कुछ कठिनाइयों के साथ विद्या बुद्धि एवं संतान, माता भूमि भवन का सुख प्राप्त होता है । सप्तम भाव में दृष्टि के कारण पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । दैनिक रोजगार में सफलता प्राप्त होती है । एकादश भाव में दृष्टि के कारण आमदनी अच्छी होती है । द्वितीय भाव में दृष्टि के कारण धन एवं कुटुंब के सुख में कुछ परेशानी होती है ।
♦️👉राहु
शत्रु पक्ष पर अत्यधिक प्रभाव रहता है । आप अपने गुप्त युक्तियों हिम्मत चतुराई एवं धैर्य के बल पर मुसीबतों का सामना करते हुए विजय प्राप्त करते हैं । परंतु पेट में किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना रहती है । दशम भाव में दृष्टि के कारण पिता , राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में कठिनाई तथा परेशानियों का सामना करना पड़ता है । द्वादश भाव में दृष्टि के कारण बाहरी स्थानों के संपर्क से कुछ परेशानी होती है । द्वितीय भाव में दृष्टि के कारण धन एवं कुटुंब के सुख में कठिनाई तथा परेशानियों का सामना करना पड़ता है । कुटुम से संबंध अच्छे नहीं रहते हैं ।
♦️👉केतु
अत्यधिक खर्च के कारण कुछ परेशानी होती है । चतुर्थ भाव में दृष्टि के कारण माता , भूमि , भवन के सुख में परेशानी होती है । षष्ट भाव में दृष्टि के कारण शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहता है परंतु पेट में किसी प्रकार की बीमारि या ऑपरेशन होने की संभावना रहती है । अष्टम भाव में दृष्टि के कारण आयु के संबंध में परेशानी होती है ।
♦️ सारांश ♦️
👉 स्वास्थ्य एवं आयु के लिए – मंगल , केतु का उपाय करें ।
महामृत्युंजय यंत्र स्थापित करके रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें । महामृत्युञ्जय मन्त्र - ॥ ॐ ह्रौं जुं सः त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनं उर्वारुकमिव
बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् सः जुं ह्रौं ॐ ॥
👉 संतान एवं विद्या बुद्धि के लिए – गुरु , शनि का उपाय करें ।
👉 गृहस्थ जीवन के लिए – शुक्र का उपाय करें ।
👉भाग्य की उन्नति के लिए – चन्द्र , मंगल ,गुरु का उपाय करें ।
👉रोजगार के लिए – सूर्य , राहु , शुक्र का उपाय करें ।
👉 धन एवं आमदनी के लिए – बुध , गुरु , राहु , शनि का उपाय करें ।
स्फटिक का श्रीयंत्र स्थापित करके स्फटिक की माला से लक्ष्मी साधना ( मंत्र जाप ) करें । लक्ष्मी मंत्र – ॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः ॥
॥ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगतप्रसुत्यै नमः ॥
♦️शनि , सूर्य , शुक्र , बुध से सम्बंधित रोजगार के योग है ।
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लग्न एवं नक्षत्र का फलादेश यहां नहीं दिया गया क्योकि लेख बहुत लंबा हो जाएगा । सिर्फ ग्रहों का फलादेश बताया गया है । जब कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण करवाते हैं तब उसमें संपूर्ण उपाय बताया जाता है और विशेष रूप से चर्चा करके समझाया जाता है ।
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