• गृहम्
  • वैदिकशिक्षणं
      • Back
      • पौराणिक शिक्षा
          • Back
          • योगविद्याध्ययनम्
              • Back
              • पतंजली महाभाष्यम्
              • शिवसंहिता
              • घेरण्ड संहिता
          • विज्ञान एवं ज्योतिषविद्याध्ययनम्
              • Back
              • ज्योतिषी
              • दर्शन शास्त्र संग्रह
              • स्थापत्य शास्त्र-खगोल विज्ञान
          • आयुध/नीति/समाजशास्त्राध्ययनम्
              • Back
              • चाणक्यनीतिशास्त्रम्
              • रामायण (वाल्मीकी)
              • महापुरूषेभ्यः जीवनी निबंधः
          • शस्त्रविद्याध्ययनम्
          • अर्थशास्त्रम्
          • अभियांत्रिक/अस्त्रविद्याध्ययनम्
              • Back
              • विमानशास्त्र
          • कर्मयोग/कामसूत्र/व्यवसायध्ययनम्
              • Back
              • कामशास्त्रं
              • कौटलीयम् अर्थशास्त्रम्
          • स्वास्थयविद्याध्ययनम्
              • Back
              • आयुर्वेदम्
                  • Back
                  • चरक संहिता
              • कायचिकित्सः
              • शल्यचिकित्सा
              • आयुर्विज्ञानम्-अष्टांगहृदयम्
          • गणितशास्त्र
              • Back
              • वैदिकगणितम्
          • रसायन शास्त्र
      • व्याकरणम्
          • Back
          • सन्धिप्रकरणम्
          • कारकम्
          • उपसर्गाः
          • वृत्तिः
              • Back
              • कृत्
              • समासः
              • एकशेषः
          • अव्ययम्
          • लकाराः
          • शाब्दबोधः
          • धात्वर्थः
      • अधुनिक शिक्षा
          • Back
          • पृथ्वी-अस्माकम् आवासः
              • Back
              • अध्यायः १,२,३
              • अध्यायः ४-९
          • अस्माकम् अतीतः
              • Back
              • षष्टकक्ष्यायाः कृते पाठ्यपुस्तकम
              • सप्तम्कक्ष्यायाः कृते पाठ्यपुस्तकम
                  • Back
                  • अध्यायः १,२,३
                  • अध्यायः ४-९
          • सामाजिकं विज्ञानम् - अस्माकं पर्यावरणम्
          • गणितम्
              • Back
              • षष्टकक्ष्यायाः कृते पाठ्यपुस्तकम
                  • Back
                  • अध्यायः १
                  • अध्यायः २,३
                  • अध्यायः ४,५,६
                  • अध्यायः ७,८,९
                  • अध्यायः १०,११,१२
                  • अध्यायः १३१४ १५ १६ एवं उत्तरमाला
          • विज्ञानम्
              • Back
              • अध्यायः १,२,३
              • अध्यायः ४,५,६,७,८,९
              • अध्यायः ११,१२,१३,१४,१५,१६,१७,१८
          • सामाजिकं एवं राजनीतिकं जीवनम्
              • Back
              • १
                  • Back
                  • अध्यायः १,२,३
                  • अध्यायः ४,५,६,७,८,९
              • २
                  • Back
                  • अध्यायः १,२,३
                  • अध्यायः ४,५,६,७,८,९
  • लेखाः
      • Back
      • महापुुरूषेभ्यः जीवनी
          • Back
          • प्रमुखक्रान्तिकारिषु
              • Back
              • साधू तुकारामः
              • भगत सिंह
              • इन्दुलाल याज्ञिकः
              • श्री नरेंद्र मोदीः
              • श्री अब्दुल कलामः
              • मदनमोहन-मालवीय
              • महादेवी वर्मा
              • गुरु गोविन्द सिंह
              • रवीन्द्रनाथ ठाकुर
              • पण्डित चन्द्रशेखर तिवारी 'आजाद'
              • राजगुरुः
              • जयप्रकाश नारायण
              • कर्मयोगी डाक्टर हेडगेवार
              • स्वामी रामतीर्थः
              • दुर्गावती-देवी
              • विनायक दामोदर सावरकर
              • लाल बहादूर शास्त्री
              • विनोबा भावे
              • महादेवभाई देसाई
          • हिन्दुसम्राट्
              • Back
              • भारतेश्वरः श्री पृथ्वीराजः
              • धर्मराजः(महाराज युधिष्ठरः)
              • भगवान श्री रामः
              • छत्रपति शिवाजी
              • भगवान श्री कृष्णः
              • अर्णोराज चौहान
              • सिद्धराज जयसिंह
          • ऋषिः
              • Back
              • भगवान श्री परशुरामः
              • महाकवि श्री कालिदासः
              • श्री रामानुजाचार्यः
              • पितामह भीष्‍मः श्री देवव्रतः
              • श्री वाराहमिहिरः
              • श्री भरद्वाजमहर्षिः
              • महार्षी श्री जमदग्निः
              • कामसूत्र ऋषी श्री मल्लंग वात्स्यायन
              • श्री द्रोणाचार्यः
              • महार्षी श्री वेदव्यासः
              • वागभटः
              • श्री आर्यभटः
              • महाकवि कालिदासः
              • हेमचन्द्राचार्यः
              • ब्रह्मगुप्तः
              • भरतमुनिः
              • स्वामी रामदेवः
          • वीरपुरूषः
              • Back
              • केळदि चेन्नम्मा
              • गुरु गोविन्द सिंह
              • महापराक्रमी भीमपुत्र घटोत्कचः
              • द्रौण शिष्य अर्जुनः
              • झांसीराणीलक्ष्मीवर्यायाः
              • वीर बन्दा वैरागी
          • समाज प्रणेतः
              • Back
              • महापंडित श्री कौटिल्य (चाणक्यः)
              • स्वामी विवेकानन्द
      • संस्कृत सुभाषितानि
          • Back
          • संस्कृत सुभाषितानि
          • संस्कृत सुभाषितानि १
          • संस्कृत सुभाषितानि २
          • संस्कृत सुभाषितानि ३
          • संस्कृत सुभाषितानि ४
      • धर्म:
          • Back
          • धर्मग्रंथ
          • विचार
          • दर्शन
          • परम्परा
          • युग
          • वर्ण
          • मापन प्रणाली
              • Back
              • वैदिक समय
          • तीर्थ
              • Back
              • सिन्हस्थ उज्जैन
  • संदस्कग्रंथालयं
      • Back
      • पुराण
          • Back
          • पद्मपुराण
          • ब्रम्हा वैवर्त पुराण
          • भविष्यपुराण
          • भागवतपुराण
          • मत्स्यपुराण
          • मार्काण्डेय पुराण
          • ळिंगपुराण
          • वामनपुराण१
          • वाराहपुराण
          • वृष्णुपुराण
          • व्रम्हाण्ड पुराण
          • व्रम्हापुराण
          • स्कंदपुराण
          • अग्निपुराण
          • वामनपुराण
          • कुर्मपुराण
          • गरूणपुराण
          • नारद पुराण
      • संम्हितां
          • Back
          • चरक संम्हितां
          • सुश्रुत संम्हितां
          • भृगु संम्हितां
          • कश्यप संहिता
          • मैत्रायनी संम्हिता
          • घेरण्ड संहिता
          • शिव संहिता
          • अगस्त्य संहिता
          • सुतसंहिता
          • पराशर संम्हिता
          • गर्ग संम्हिता
          • वाराह संहिता
          • ब्रह्मसंहिता
          • रावण संहिता
      • वेदम्
          • Back
          • ऋगवेद
          • अथर्ववेदम्
          • यजुर्वेदम्
          • सामवेदम्
      • रामायण
      • महाभारतं
  • वार्ताः
      • Back
      • पंचागम्
      • राशिफल
      • ज्योतिष
  • अवतारणं
      • Back
      • औजारसाधनानी
      • पुस्तकानि
      • दस्तावेज
  • संजालसाधनं
      • Back
      • खोज साधनम्
      • संस्कृत सीखें
      • प्रत्यय निर्माणक
      • धातु रूप निर्माणक
      • संधि निर्माणक
      • तिङन्त निर्माणक
      • देवनागरी ब्राह्मी लिपि परिवर्तक
      • कुंडली प्रश्नोत्तरी
  • देवसभा
      • Back
      • प्रविश्यताम्
      • पंजीकरणम्
  • संपर्कः
      • Back
      • प्रस्तावना , गोपनीयता और शर्तें
      • कार्यकर्ताः
      • व्हाट्सएप समूह ज्वाइन करें
Articles
शीर्षक लेखक प्राप्ति
पंचाग एवम् कुंडली ज्योतिष 19487
मोदी जी के मन की बात Virendra Tiwari 14793
बॉस जीएनयू / लिनक्स Virendra Tiwari 12001
विमान शास्त्र Virendra Tiwari 11919
हिन्दुओ के आचरण और नियम Virendra Tiwari 11636
मन की बात Virendra Tiwari 9570
वास्तु विचार Virendra Tiwari 9308
व्याकरणम् Virendra Tiwari 8419
श्राद्ध कर्म कब और कैसे और क्यों? Virendra Tiwari 7771
श्री वामन द्वादशी Virendra Tiwari 7741

उपश्रेणियाँ

सिंहस्थकुम्भपर्व

सिंहस्थकुम्भपर्व उज्जैन-नगरस्य महोत्सवः वर्तते । प्रतिद्वादशवर्षेषु यदा बृहस्पतिः सिंहराशौ, सूर्यः मेषराशौ च स्थितौ भवतः तदा इदं पर्व आयोज्यते । अतः सिंहस्थ इति नाम । पर्वणः स्नानस्य आरम्भः चैत्रमासस्य पूर्णिमा-तः वैशाखमासस्य पूर्णिमा-पर्यन्तं प्रचलति । भारतदेशे चतुर्षु स्थानेषु कुम्भपर्वणः आयोजनं भवति । सिंहस्थायोजनस्य एका प्राचीना परम्परा अस्ति । अनेकाः कथाः प्रचलिताः सन्ति । अमृतबिन्दूनां विनिपाते काले सूर्यः, चन्द्रः, बृहस्पतिः इत्येतेषां स्थितिः यादृशी आसीत् तादृशी एव स्थितिः इदानीम् अपि यदा भवति तदा कुम्भमहापर्वणः आयोजनं भवति 

सिंहस्थ उज्जैन का महान स्नान पर्व है। बारह वर्षों के अंतराल से यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती हैं और पूरे मास में वैशाख पूर्णिमा के अंतिम स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होती है। उज्जैन के महापर्व के लिए पारम्परिक रूप से दस योग महत्वपूर्ण माने गए हैं।

कुंभ की कथा

पुराणों के अनुसार देवों और दानवों सहयोग से सम्पन्न समुद्र मंथन से अन्य वस्तुओं के अलावा अमृत से भरा हुआ एक कुंभ (घडा) भी निकला था। देवगण दानवों को अमृत नहीं देना चाहते थे। देवराज इंद्र के संकेत पर उनका पुत्र जयन्त जब अमृत कुंभ लेकर भागने की चेष्टा कर रहा था, तब कुछ दानवों ने उसका पीछा किया। अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग में बारह दिन तक संघर्ष चलता रहा और उस कुंभ से चार स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदें गिर गईं। यह स्थान पृथ्वी पर हरिद्वार,प्रयाग, उज्जैन और नासिक थे। इन स्थानों की पवित्र नदियों को अमृत की बूंदे प्राप्त करने का श्रेय मिला। क्षिप्रा के पावन जल में अमृत-सम्पात की स्मृति में सिंहस्थ महापर्व उज्जैन में मनाया जाता है। अय स्थानों पर भी यह पर्व कुंभ-स्नान के नाम से मनाया जाता है। कुंभ के नाम से यह पर्व अधिक प्रसिध्द है।

 

प्रत्येक स्थान पर बारह वर्षों का क्रम एक समान हैं अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग की गणना से बारह दिन तक संघर्ष हुआ था जो धरती के लोगों के लिए बारह वर्ष होते हैं। प्रत्येक स्थान पर कुंभ पर्व कोफ्लिए भिन्न-भिन्न ग्रह सिषाति निश्चित है। उज्जैन के पर्व को लिए सिंह राशि पर बृहस्पति, मेष में सूर्य, तुला राशि का चंद्र आदि ग्रह-योग माने जाते हैं।

 

महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। महाकालेश्वर मंदिर और पावन क्षिप्रा ने युगों-युगों से असंख्य लोगों को उज्जैन यात्रा के लिए आकर्षित किया। सिंहस्थ महापर्व पर लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री और भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के साधु-संत पूरे भारत का एक संक्षिप्त रूप उज्जैन में स्थापित कर देते हैं, जिसे देख कर सहज ही यह जाना जा सकता है कि यह महान राष्ट्र किन अदृश्य प्रेरणाओं की शक्ति से एक सूत्र में बंधा हुआ है।

प्राचीन परम्परा

देश भर में चार स्थानों पर कुम्भ का आयोजन किया जाता है। हरिद्वार,प्रयाग, उज्जैन और नासिक में लगने वाले कुम्भ मेलों के उज्जैन में आयोजित आस्था के इस पर्व को सिंहस्थ के नाम से पुकारा जाता है। उज्जैन में मेष राशि में सूर्य और सिंह राशि में गुरू के आने पर यहाँ महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे सिहस्थ के नाम से देशभर में पुकारा जाता है। सिंहस्थ आयोजन की एक प्राचीन परम्परा है। इसके आयोजन के संबंध में अनेक कथाएँ प्रचलित है। सबसे अधिक प्रचलित कथा मंथन की है। इस पौराणिक समुद्र मंथन की कथा के अनुसार देवताओं और दानवों ने मिल कर समुद्र मंथन किया और अमृत कलश प्राप्त किया। अमृत को दानवों से बचाने के लिए देवताओं ने इसकी रक्षा का दायित्व बृहस्पति, चन्द्रमा, सूर्य और शानि को सौंपा। देवताओं के प्रमुख इन्द्र पुत्र जयन्त जब अमृत कलश लेकर भागे, तब दानव उनके पीछे लग गये। अमृत को पाने के लिए देवताओं और दानवों में भयंकर संग्राम छित्रड गया। यह संग्राम बारह दिन चला। देवताओं का एक दिन मनुष्यों के एक वर्ष के बराबर होता है। इस प्रकार यह युध्द बारह वर्षों तक चला। इस युध्द के दौरान अमृत कलश को पाने की जद्दोजहद में अमृत कलश की बून्दें इस धरा के चार स्थानों हरिध्दार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में टपकी। पौराणिक मान्यता है कि अमृत कलश से छलकी इन बूंदों से इन चार स्थानों की नदियॉ गंगा, यमुना, गोदावरी और शिप्रा अमृतमयी हो गई। अमृत बूंदे छलकने के समय जिन राशियों में सूर्य, चन्द्र, गुरू की स्थिति के विशिष्ट योग के अवसर रहते हैं, वहां कुंभ पर्व का इन राशियों में गृहों के संयोग पर आयोजन होता है। इस अमृत कलश की रक्षा में सूर्य, गुरू और चन्द्रमा के विशेष प्रयत्न रहे। इसी कारण इन्हीं गृहों की उन विशिष्ट स्थितियों में कुंभ पर्व मनाने की परम्परा है।

संस्कृतवार्ताः
 
अन्तर्जालमाध्यमेन १० वर्षाणि पूर्णानि इति साझां कृत्वा अहं प्रसन्नः अस्मि।

---------------------
पञ्जीकरणार्थम् अत्र नोदनम् कुर्वन्तु 👆
प्रवेशार्थं अत्र नोदनम् कुर्वन्तु👆
क्रियाकलापं पश्यन्तु👆
 जालवृत्तयः आरभत👆
विमर्शविषयाः👆
 प्रश्नोत्तरी👆
चलचित्रं साझां कुर्वन्तु👆 
चित्रं साझां कुर्वन्तु👆
देवनागरी ब्राह्मी लिपि परिवर्तक👆 
श्री राम शलाका प्रश्नावली👆 
धातु रूप निर्माणक 👆 
प्रत्यय निर्माणक👆 
संधि निर्माणक👆
तिङन्त निर्माणक👆 

आधुनिकाः लेखाः

  • ब्राह्मणों के 8 प्रकार जानिए
  • ब्राह्मणों के क्रोध कुलधरा के 85 गांव आज भी वीरान हे
  • रंभा - श्री शुकदेव जी संवाद
  • एकांतवास क्या है? एकांतवास का उपयोग कैसे करें?
  • ब्राह्मणों की महिमा तथा छब्बीस दोषो का वर्णन
  • पंचक को अशुभ क्यों माना जाता है
  • वर्गोतम ग्रहः फल
  • द्वितीय भाव में विभिन्न ग्रहों की व्याख्या

ज्योतिषीय परामर्श

हस्तरचित कुंडली घर बैठे प्राप्त करने और कुंडली विश्लेषण या ज्योतिषीय मंत्रणा हेतु संपर्क करें 9200910111 पर  हमारे ज्योतिषी आपको उचित मार्गदर्शन करेंगे (दक्षिणा - सामर्थ्यानुसार एवं पारिश्रमिक और सेवाशुल्क देय होगा)।
परामर्श हेतु यहां क्लिक करें WhatsApp Main Page
दक्षिणा देनें के लिए यहां क्लिक करें
© DEVWANI 14 Aug 2012 - 2025
Developed by Virendra Tripathi exclusively
for Sanskrit Language.
शिखरम् प्रत्यागच्छति?