मोती पहन लो सब ठीक हो जाएगा…

ज्योतिष और रत्नों को लेकर समाज में बहुत सी भ्रांतियाँ हैं ऊपर से भेड़-चाल लोग बहुत जल्दी सुनी सुनाई बातों पर यकीन कर लेते हैं, जैसे दोनों हथेलियों को मिलाने पर अगर चाँद बने तो खूबसूरत जीवनसाथी मिलता है ये बहुत बेतुकी बात है इसी तरह एक चीज अपने समाज में और देखी होगी अगर किसी व्यक्ति को गुस्सा आता है तो बहुत से लोग से कहते हैं कि मोती पहन लो सब ठीक हो जाएगा, यह बहुत आसानी से कही गई बात है जो अक्सर हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति बोल देता है लेकिन देखा जाये तो ये बहुत ही गंभीर बात है सबसे पहले हर व्यक्ति को मोती सूट करें यह जरूरी नहीं, दूसरा उसे जो गुस्सा आ रहा है वह भी बहुत अलग-अलग प्रकार का हो सकता है एक गुस्सा होता है जो चिड़चिड़ा लिए होता है जिसमें व्यक्ति खुद का नुकसान करता है, एक गुस्सा एग्रेशन लिए होता है जिसमें व्यक्ति सामने वाले का नुकसान करता है, एक गुस्सा षड्यंत्र वाला होता है जिसमें व्यक्ति सुनियोजित तरीके से खुद को अलग रखते हुए सामने वाले को नुकसान पहुँचाता है, एक तरह के गुस्से में व्यक्ति शब्दों के जरिये अपशब्द आदि बोलकर गुस्सा प्रकट करता है इसी तरह और भी अनेक तरह का गुस्सा होता है, आपको लगता है कि हर गुस्से का उपाय मोती है ? दूसरी बात यह है कि अगर किसी को गुस्सा आता है तो उस गुस्से को शांत करने की जरूरत क्या है चाणक्य गुस्सा आया था तो चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म हुआ था, जमशेदजी टाटा गुस्सा आया था तो होटल ताज का निर्माण हुआ था, युवराज सिंह को गुस्सा आया था तो उन्होंने छह बॉल में छह छक्के मारे थे तो गुस्से को शांत करने की जरूरत क्यों है ? मुझे तो लगता है गुस्से को बस दिशा देने की जरूरत है ताकि आप अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें।

यह तो गुस्से का एक मनोवैज्ञानिक पहलू है अब हम आते हैं ज्योतिषी पहलू पर ज्योतिष में कर्क राशि के स्वामी होते हैं चंद्रमा और चंद्रमा का रत्न होता है मोती अमूमन मान्यता यह है कि व्यक्ति को लग्नेश, पंचमेश और नवमेश के रत्न पहनना चाहिए वह ज्यादा फलदाई होते हैं तो हर व्यक्ति का लग्नेश, पंचमेश, नवमेश चन्द्रमा हो ये तो जरूरी नहीं और कई बार लग्नेश, पंचमेश, नवमेश भी ऐसी स्थिति में बैठे होते हैं कि उतना रत्न पहनना फायदेमंद कम नुकसानदेह ज्यादा होता है।

कोई भी रत्न/उपरत्न या उपाय करने से पहले जातक को किसी जानकार ज्योतिषी की सलाह जरूर लेनी चाहिए, कई बार मेरे पास ऐसे मामले आते हैं जिसमें किसी जातक के घर में कोई व्यक्ति कोई व्रत या मंत्र का जाप कर रहा होता है और उससे प्रेरित होकर वह व्यक्ति वही व्रत या वही मंत्र का जाप करने लगता है, जिस तरह हर ताले की चाबी अलग होती है ठीक उसी तरह हर व्यक्ति के लिए अलग व्रत होते हैं अलग मंत्र होते हैं यह हर किसी को समझना चाहिए, जरूरी नहीं है कि अगर मंगल का व्रत मेरे लिए फलदाई है तो मुझे देखकर कोई मंगल का व्रत करे तो उसके लिए भी उतना ही फलदायी होगा, फलदायी छोड़िये कई बार फायदा होने के बजाय नुकसान होते हुए भी देखा है।

जातक को समझना चाहिए कि ये बात ठीक है कि मोती व्यक्ति को शांति प्रदान करता है लेकिन जरूरत से ज्यादा शांति व्यक्ति को अवसाद यानी डिप्रेशन की तरफ लेकर जाती है, ठीक इसी तरह मंगल का रत्न मूंगा है जो व्यक्ति को ऊर्जा देता है लेकिन अगर उस ऊर्जा की दिशा ठीक ना हो तो जरूरत से ज्यादा ऊर्जा भी विनाश का कारण बनती है।😊

#ज्योतिष_दर्शन
#विपुल